हिन्दी विभाग
हिंदी विभाग की स्थापना सन 2011 में हुई। तत्कालीन कुलपति प्रो. जांसी जेम्स के कार्यकाल तथा डॉ. जोसेफ कोइपल्लि के निर्देशन में अक्टूबर 2012 से नियमित कक्षाएं आरंभ हुईं। इसकी स्थापना के साथ ही अध्ययन-अध्यापन में हिंदी भाषा, साहित्य एवं तुलनात्मक साहित्य को मुख्य विषय के रूप में रखा गया। अन्य वैकल्पिक विषयों में तकनीकी, संगणकीय प्रयोजनमूलक हिंदी में अध्ययन-अध्यापन करते हुए हिंदी के छात्रों के अतिरिक्त अन्य विभागों के छात्रों को भी वैकल्पिक विषय चुनकर पढ़ने का अवसर प्रदान करना इसका प्रमुख उद्देश्य है। इसके अंतर्गत यहां छात्रों के लिए परिसंवाद, कौशल-विकास कार्यक्रम, प्रशिक्षण कार्यक्रम आदि चलाने के साथ-साथ विभिन्न कवियों, कलाकारों लेखकों आदि से साक्षात्कार व भाषा-प्रयोगशाला की सहायता से भाषा विज्ञान कार्यक्रम भी संपन्न होते रहे हैं। हिंदी विभाग द्वारा 28 सितंबर 2014 को पहली बार हिंदी पखवाड़े का आयोजन किया गया। 20 नवंबर 2015 को विभाग में पहले स्थाई उपाचार्य एवं हिंदी विभाग के प्रथम अध्यक्ष के रूप में डॉ. उमेश कुमार सिंह की नियुक्ति हुई। तत्पश्चात सहायक आचार्य डॉ. सीमा चंद्रन ने 11 मई 2016 से 28 अगस्त 2016 तक प्रभारी अध्यक्ष के रुप में हिंदी विभाग का कार्यभार संभाला। 5 अगस्त 2016 में डॉ. तारु एस. पवार हिंदी विभाग में उपाचार्य के पद पर नियुक्त हुए और 29 अगस्त 2016 को विभाग के अध्यक्ष का कार्यभार संभाला। 13 जनवरी 2017 को हिंदी विभाग ने पहली बार 'विश्व हिंदी दिवस' मनाया। 19 जून 2017 को पूर्णकालिक आचार्य के रूप में प्रो. सुधा बालकृष्णन की नियुक्ति हुई तथा उन्होंने 4 जुलाई 2017 को विभागाध्यक्ष का पद ग्रहण किया। विगत 30 मार्च 2020 से आज तक हिंदी विभाग के अध्यक्ष का कार्यभार प्रो. तारु एस. पवार ही संभाल रहे हैं। प्रो. तारु एस. पवार तथा प्रो. सुधा बालकृष्णन की अध्यक्षता में पिछले सालों में हिंदी विभाग में भरपूर प्रगति का कार्य हुआ है। सर्वप्रथम 2016 में पी-एच॰डी॰ कार्यक्रम में प्रवेश एवं कोर्स वर्क की नियमित कक्षाओं का शुभारंभ हुआ, तत्पश्चात रोजगार को ध्यान में रखते हुए 1. "पी. जी. अनुवाद डिप्लोमा और कार्यालयीन कार्य-पद्धति" 2. "पी. जी. डिप्लोमा हिंदी जनसंचार माध्यम और मीडिया लेखन" 3. "अल्पकालिक हिंदी प्रमाण-पत्र पाठ्यक्रम" 4. "बोलचाल की हिंदी कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम" व "कम्यूनिकेटिव हिंदी में ब्रिज कोर्स" आदि पाठ्यक्रम नियमित रूप से चल रहे हैं। इसमें विद्यार्थी, शिक्षक, कर्मचारी, ड्राइवर, सुरक्षाकर्मी आदि हिंदी सीखने में विशेष रूचि दिखा रहे हैं। हिंदी विभाग के शिक्षक ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यम से हिंदी सिखाने के लिए सदैव प्रयत्नशील रहे हैं। विभाग में अलग-अलग कोर्सों का प्रारंभ करने के साथ-साथ विद्यार्थी, शोधार्थी एवं शिक्षकों का ज्ञान समृद्ध करने के लिए विभिन्न विषयों पर अनेक संगोष्ठियों का आयोजन भी किया गया। 19 अगस्त 2016 को "तुलनात्मक साहित्य बोध एवं शोध प्रविधि" विषय पर एकदिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन हुआ, जिसकी संयोजिका डॉ. सीमा चंद्रन रहीं और वक्ता के रूप में दिल्ली से प्रो. मोहन तथा लखनऊ से प्रो. कैलाश देवी सिंह ने वक्तव्य दिया। विगत पाँच वर्षों में पाँच राष्ट्रीय संगोष्ठियों का आयोजन किया गया।
- 08-09 फरवरी 2018 को ''समकालीन परिदृश्य और गाँधी दर्शन"
- 08-09 मार्च 2018 को "हिंदी साहित्य में स्त्री स्वर"
- 27 मार्च 2018 को "उत्तर-आधुनिक आलोचना के विविध आयाम"
- 11-12 मार्च 2019 को "साहित्य के विविध विमर्श"
- 27-28 फरवरी 2020 को "21वीं सदी का हिंदी साहित्य और विविध विमर्श" प्रमुख रहे।
उपरोक्त सभी संगोष्ठियों की अध्यक्षता डॉ. तारु एस. पवार एवं प्रो. सुधा बालाकृष्णन द्वारा की गई। विभाग के सहायक आचार्य डॉ. सुप्रिया पी., डॉ. राम बिनोद रे, डॉ. सीमा चन्द्रन एवं डॉ. धर्मेंद्र प्रताप सिंह प्रमुख संयोजक रहे। संगोष्ठियों में देश के विभिन्न प्रान्तों से अनेक हिंदी साहित्यकारों ने उपस्थित होकर अपने ज्ञान का प्रचार-प्रसार किया। प्रमुख साहित्यकारों में दिल्ली से विख्यात हिंदी साहित्यकार चित्रा मुद्गल, वर्धा से हिंदी के प्रसिद्ध आलोचक प्रो. सूरज पालीवाल, हैदराबाद से प्रो. मंजुनाथ एन. अंबिग, झारखंड से जानी-मानी आदिवासी लेखिका निर्मला पुतुल, कोलकाता से वरिष्ठ हिंदी आलोचक डॉ. शंभुनाथ, लखनऊ से डॉ. ब्रजेश श्रीवास्तव, धारवाड़ से प्रो. सीताराम के. पवार व केरल से प्रो. ए. अरविंदाक्षन आदि विद्वानों ने संगोष्ठियों में अपने विचार प्रस्तुत किए।
अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियाँ-
- 20-21 दिसंबर 2018 को "हिंदी में प्रवासी साहित्य का योगदान"
- 13-15 फरवरी 2019 को "वैश्विक स्तर पर हिंदी का प्रयोग और उपयोग"
उपरोक्त संगोष्ठियों में बेल्जियम से प्रो. रमेशचन्द्र शर्मा, रूस से डॉ. सफार्मो टालिबी, दिल्ली से वरिष्ठ हिंदी लेखक असग़र वज़ाहत, कर्नाटक से प्रो. अशोक काम्बले, मंगलुरु से डॉ. सुमा रोडनवार व केरल से प्रो. प्रमोद कोवप्रत पधारे। सभी वक्ताओं द्वारा सम्बन्धित विषयों पर ज्ञानोपयोगी विचार प्रस्तुत किये गए।
विभाग ने कोरोना महामारी के दौरान भी ऑनलाइन माध्यम से सक्रिय भूमिका निभाते हुए अनेक वेबिनारों का सफल आयोजन किया, जिनमें प्रमुख है-
-
30 जुलाई 2020 को "प्रेमचन्द को कैसे पढ़े"
-
08 मार्च 2021 को "स्त्री सत्ता और वर्चस्व"
-
09 अप्रैल 2021 को "तुलनात्मक साहित्य और अनुवाद"
-
31 जुलाई 2021 को "प्रेमचंद और वर्तमान समय"
-
10 जनवरी 2022 को "वैश्वीकरण और रोजगारपरक हिंदी"
इन संगोष्ठियों में वक्ताओं के रूप में डॉ. उर्मिला देवी, प्रो. रामबक्ष जाट, जी. गोपीनाथन व प्रो. संजय शेषराव राठौड़ मुख्य रूप से शामिल रहें।
विभाग द्वारा समय-समय पर ऑनलाइन राष्ट्रीय कार्यशालाओं का आयोजन किया गया, जिनमें प्रमुख है-
-
13 व 16 जुलाई 2021 को "तकनीकी अनुवाद और हिंदी क्षेत्र में उद्यमिता"
- 03 अगस्त 2021 को "नॉटनल-ऑनलाइन पत्रिका और पुस्तक का उपयोग"
ऑनलाइन राष्ट्रीय व्याख्यानमाला-
-
08 अप्रैल 2021 को "हिंदी नाटक एवं रंगमंच : विविध आयाम"
-
24-25 मई 2021 को "रोजगार कौशल : विकास और गतिविधियां"
-
18 अगस्त 2021 को "स्वाधीनता संग्राम के दौर की पत्रकारिता"
-
29 नवम्बर 2021 से 1 व 4 अप्रैल 2022 तक "रोज़गार प्रकोष्ठ के सौ दिन"
वक्ताओं के रूप में डॉ. राहुल सिद्धार्थ, प्रो. कृपाशंकर चौबे, डॉ. विमलेश त्रिपाठी, मनीष कुमार व अभिषेक दुबे रहे।
ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय व्याख्यानमाला-
- 11, 25 नवम्बर 2021, 08 दिसंबर 2021, 28 जनवरी 2022 को "आधी आबादी : आधी भागीदारी"
हिन्दी विभाग हर वर्ष 14 सितम्बर को 'हिंदी दिवस', 10 जनवरी को 'अंतरराष्ट्रीय हिंदी दिवस' व 31 जुलाई को 'प्रेमचन्द जयंती' का आयोजन करता है । इन अवसरों पर विशेष व्यख्यानमालाओं का आयोजन किया जाता है। विभाग में प्रत्येक वर्ष "हिंदी पखवाड़ा" मनाया जाता है। इन अवसरों पर डॉ. सुरेश मुले, प्रो. रवींद्रन, प्रो.जी. गोपीनाथन, डॉ. जयंती प्रसाद नौटियाल, प्रो. सर्राजु, प्रो. नामदेव गौड़ा व प्रो. जयचन्द्रन मुख्य वक्ताओं के रूप में आए। केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय के वर्तमान माननीय कुलपति प्रो. एच. वेंकटेश्वरलु के सरंक्षण, विभागाध्यक्ष डॉ. तारु एस. पवार के निर्देशन तथा सहायक आचार्य डॉ. सीमा चन्द्रन, डॉ. धर्मेंद्र प्रताप सिंह, डॉ. राम बिनोद रे एवं डॉ. सुप्रिया पी. और कार्यालय सहायक शिवप्रसाद टी. (अस्थाई) के सहयोग द्वारा हिंदी विभाग आगे बढ़ने के लिए सतत प्रत्यनशील है।
शुभाशंसा सहित
प्रो. मनु
विभागाध्यक्ष,
केरल केन्द्रीय विश्वविद्यालय, कसरगोड